मेरी बात

अधजली हालत में खंडहर बने मकान, बेड़ियों से जकड़ा वर्तमान, आज के समय को जब इतिहास बनाएंगे तो क्या दिखाएंगे?

 

 

दृष्टि और आवाज को घोंटने की साजिश को नकारती युवा शक्ति स्याह साया बने खड़ी है। हथेली की लकीरों को प्रश्नों के कटघरे में खड़ा दिया गया था।

 

ऐसे वक्त प्रतिरोध को स्थान मिलना चाहिए।

 

 

लेकिन कितना और कैसे?

 

 

कविता प्रतिरोध का अच्छा जरिया है। लेकिन प्रतिरोध की दिशा सही हो।

 

कृत्या हमेशा प्रतिरोध की कविताओं को स्थान देने की कोशिश करती है।

 

 

इसी सन्दर्भ में आरचेतन क्रांति : चेतना का प्रतिवादी स्वर को कुमार मुकुल (अमरेन्‍द्र कुमार प्रस्तुत कर रहे हैं।

 

 

जैक हिर्शमैन प्रतिरोध का मजबूत स्वर रहा है, जिन्होंने वियतनाम युद्ध के विरोध के लिए अपनी नौकरीं भी गवाईं, बृजेश सिंह आपकी कविताओं के अनुवाद को प्रस्तुत कर रहे हैं। राजिंदर ब्याला, सरिता निर्झरा, और राजेन्दर बोध अपनी कविताएं प्रस्तुत कर रहे हैं। फिलिस्तीन के विस्थापित कवि राएद वाहेश (Raed  Wahesh  की कविताएं विस्थापन और युद्ध के चित्रों को प्रस्तुत करती हैं, जिनका अनुवाद सन्तोष कुमार ने किया है।

 

 

आशा है, प्रस्तुत अंक पाठकों की आशा के अनुरूप होगा

 

 

 

शुभकामना   सहित

 

रति सक्सेना

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