शचीन्द्र आर्य जनवरी 1985 में जन्में शचीन्द्र आर्य ने दिल्ली विश्वविद्यालय से एमए (हिन्दी), बी. एड. और एम. एड. किया, सी.आई. ई., शिक्षा विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय
श्रीविलास सिंह
मुर्दों का टीला
विरूपित
है
हमारे समय का चेहरा
हमारी अशक्त रक्तवाहिनियों में
लहू की जगह
पिघले हुए कांसे ने ली है
विषाक्त हो गया है हमारा मस्तिष्क
सुदूर अतीत के अंधे
शैलेन्द्र चौहान बिहार जब नहीं गया था बिहारतब भी विचरता था बिहार मेंइलाहबाद और बनारस के आगेनहीं बढ़े थे कदमपर मौजूद थे दर्जनों लेखक'धरती' के पृष्ठों परनागार्जुन,