कविता के बारे में
अपर्णा मोहंती की कविताओं में स्त्री-प्रतिरोध का स्वर
दिब्य रंजन साहू
विमर्श की दृष्टि से 80 का दशक काफी महत्त्वपूर्ण है। इस समय ‘स्त्री
आदित्य शुक्ला
फ़ासला
फासले से छुओ ताकि भरभराकर गिर न जाए
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दूर तक बिखर न जाए
थोड़ी दूर तक चलने वाला अकेलापन
अनकहे लफ़्ज़
बहुत ख़ामोशी में पगी बेचैनी को