कविता के बारे में
अपर्णा मोहंती की कविताओं में स्त्री-प्रतिरोध का स्वर
दिब्य रंजन साहू
विमर्श की दृष्टि से 80 का दशक काफी महत्त्वपूर्ण है। इस समय ‘स्त्री
आदित्य शुक्ला
फ़ासला
फासले से छुओ ताकि भरभराकर गिर न जाए
अगली पंक्ति
दूर तक बिखर न जाए
थोड़ी दूर तक चलने वाला अकेलापन
अनकहे लफ़्ज़
बहुत ख़ामोशी में पगी बेचैनी को
क्रिस्टीना पिकोज की कविता (Christina Pacosz)Polish/American
अनूदित -रति सक्सेना
घर वापिसी*
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ज़मीन भूल गई उसे,
जब वह घर छोड़ कर गया,
बच्चा ही तो था, सेब का दरख्त
जिसे लगाने में
ओसिफ़ ब्रोद्स्की: Joseph Brodsky
(24 मई 1940 – 28 जनवरी 1996)
अनूदितः वरयाम सिंह
1940 में लेनिनग्राद में जन्म। 1958 से कविता लिखना आरम्भ। 1956 में हंगरी