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जोसे सारिया (JOSÉ SARRIA) की चयनित कविताएं
(अंग्रेजी से हिन्दी अनुवाद संतोष कुमार सिद्धार्थ)
JOSÉ SARRIA की कविताएं अन्तर्मुखी हैं। बिजनेस मेनेजमेन्ट जैसे भौतिक जीवन से जुडे होते हुए भी उनकी कविताओं आत्मालोचन और अकेलेपन की हैं। वर्तमान संदर्भ में वैश्विक एकांतता को रेखांकित करना भी आवश्यक है। इन कविताओं का अनुवाद संतोष कुमार सिद्धार्थ ने किया है, जो कृत्या टीम के सदस्य हैं, और स्वयं कवि हैं। RS
निबंधकार और आलोचक कवि जोसे सारिया रॉयल एकेडमी ऑफ कोर्डोबा से करस्पोंडिंग शिक्षाविद हैं। आपने मालागा विश्वविद्यालय से इकोनॉमिक्स और बिजनेस साइंस में स्नातक तथा आईबिजनेस स्कूल (एसोसिएट सेंटर ऑफ यूनिवर्सिदाद रे जुआन कार्लोस- माद्रिद) से एमबीए किया है। आपके पंद्रह कविता और कथा संग्रह प्रकाशित किए हैं। कवि जोसे सारिया का काम इतालवी (एमिलिओ कोको द्वारा), फ्रेंच (अहमद ओबाली द्वारा), अरबी (अब्दुल हादी सादूम, मोहम्मद नजीब बेन जेमिया, राजा बहरी और मैमूना हचेद खाबू द्वारा), अंग्रेजी (चार्ल्स ओल्सन द्वारा), सेफर्दिक (मार्गलिट मतितियाहू द्वारा) और रोमानियाई में (कोस्टेल ड्रेजोई द्वारा) अनूदित किया गया है। उनकी कविताएं चालीस से अधिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय एंथोलोजी में शामिल की गई हैं, साथ ही स्पेन, इटली, ट्यूनीसिया, मेक्सिको, अर्जेंटीना, इज़राइल, रोमानिया, इंग्लैंड, बेरूत और क़तर के विख्यात पत्रिकाओं में भी प्रकाशित हुई हैं।
मेरा सर्वश्रेष्ठ
मैं खुद के मौन को सुनता हूं और खोज लेता हूं
जीवन की उन विफलताओं को जिन्होंने प्रेरित किया
जीवन जीते जाना और सुलझाते जाना तानो-बानों को
साथ लिए असीम धैर्य ,
और दृढ़ उम्मीदें खोई वजहों की,
यह उदासी जो मुझे बहुत सारी खुशियां देती है ;
यही सार मेरे कर्मों का
यही मेरा सर्वश्रेष्ठ !
चीजों के शुद्ध नाम
“मैं शब्दों संग काम करता हूँ, वही बताना है ,
मैं निशब्दता को सावधानी से रखता हूं”
(अंतोनियो रिवेर्तो तराविल्ल)
इन कविताओं को संपूर्ण बनाने के लिए
और भावनाओं के प्रति धूर्त
उन सारी धारणाओं को तोड़ने के बाद ही ;
हां , उसके बाद ही
चीजों के शुद्ध नाम
पल्लवित हो सकते हैं।
(From Tiempo de espera)
स्मृति
स्मृति समय का ठहराव है
उस सटीक जगह पर
जहां तत्क्षण हम युवा थे
जीवंत, अजेय, अमर
जहां हमारी युवावस्था के मृग
इकठ्ठे हो कर प्यास बुझाते थे
उस जलप्रवाह से,
जो विशुद्ध था हमारे संघर्ष से
और हमारे जख्मों से
शब्दों का देश
मेरा कोई देश नहीं है
जिसमे नहीं हैं
शब्द और सुर्ख लाल जिरेनियम:
जो आखिरी पहचान है मेरे दक्षिणी क्षेत्र के होने का
जहां एक सफ़ेद घर है
जहां पनचक्की के सुर गूंजते हैं
पानी की धुनों के संग ,
जहां श्रीफल और अनार के झुरमुट हैं
शाही बागानों में।
मेरे भूलते लम्हों का वह शांतिपूर्ण आसरा
जहां मेरे निजी और खास लम्हे गुजरे हैं।
मैं हमेशा सहेज रखूंगा … इस निश्चितता को
कि आखिरी पलों में मेरे संग मौजूद हों
खेतों को सींचता हुआ कल-कल करता पानी
जर्मेनियम के जीवन के आधार
और वह जमीन जो शब्दों की है !
(From El Libro de las aguas
चरवाहे के गीत
“बेबीलोन की नदियों के किनारे,
वहीं जहां हम बैठा करते थे और रोया करते थे ,
जिओन की याद में,
हम टांग देते थे अपना हार्प*
विल्लो पेड़ों की मध्य शाखाओं पर।
और वो सब
जो हमें गुलाम बनाते थे
और गाने को कहते थे,
और वे लोग जिन्होंने हमें बर्बाद किया
और खुश होने को कहते थे ,
कहते थे;
प्रभु के कुछ भक्ति-गीत सुनाओ हमें
इन अजनबियों कि दुनिया में?”
(Book of Psalms 137:1-4)
(हार्प*: चरवाहों द्वारा प्रयुक्त एक वाद्ययंत्र )
बहुत पहले मैंने सोचा कि मैंने ईश्वर पर अधिकार कर लिया
या शायद बहुत पहले ईश्वर ने सोचा
कि वह मुझ पर अधिकार कर सकता है, आखिर कर
हम दोनों ने ही पार पा लिया था
घोर अकेलेपन के उस भय को ।
(From Sepherd)