
प्रिय कवि
Boglárka Pápai सोलह वर्षीय हंगरी की Boglárka Pápai की दिल छूती कविताएं
रिक्तता
मै दम घूटाने वाले, लेकिन
संकेत देने वाले
दुःस्वप्न में हर दम के लिए
खो जाना चाहती हूँ, जिसे
हम रिक्तता कहते हैं
मैं तैयार हूं कि
रिक्तता मुझे निगल ले
और दूर ले जाए
मेरा श्तित्व ही न रह पाए
लेकिन अभी नहीं
मैं अभी नहीं जाऊंगी
मुझे इंतजार करना होगा
मुझे देखना है कि रौशनी में क्या है?
तुम्हारी कमी महसूस करूंगी
सितारें चाहे टकरा जाए
चांद चूर चूर हो जाए
सूरज चाहे उबल जाए
और मैं, तु्म्हारी कमी महसूस नहीं करूंगी!
मैं भीतर की हलचल महसूस कर सकती हूं
चाहे कोई मतलब ही नहीं रहे
सारे फल सड़ सकते है
और मैं, तु्म्हारी कमी महसूस नहीं करूंगी!
सुबह चाहे रात हो जाए
उषा चाहे सांझ हो जाए
शब्द नष्ट हो जाएं
और मैं, तु्म्हारी कमी महसूस नहीं करूंगी!
यह मेरी अन्तिम लड़ाई है
मैं घास फूस में बदल सकती हूं
कुछ ऐसा होता है जिसे सुधारा नहीं जा सकता है
और मैं, तु्म्हारी कमी महसूस नहीं करूंगी!
अनुवाद रति सक्सेना