समकालीन कविता

पवन ठाकुर

 

 

हमारे लिए

 

मैं लिखता हूँ
इस उम्मीद से
कि शब्द
सर्दी की धूप हों
रात का चाँद
सुबह चिड़ियों की चहचहाहट
और आगे का एक रस्ता
हमारे लिए

 

उम्मीद

 

मैं उम्मीद करता हूँ
मेरे शब्द तुम्हें ढूँढ ही लेंगे
और वह मुस्कान तुम्हारे चेहरे पे होगी
जिसे मैंने पाया था
दुनिया की सबसे खूबसूरत कविता

 

नाम

 

मुझे नामों से भी
मोहब्बत है
कितने ही नाम हैं
जिन्हें मैं पुकारना चाहता हूँ

 

प्रेम

 

1.
चाहकर भी जो भुलाया न जा सके
वह प्रेम है
जो हर कोशिका को याद है

 

2.
एक प्रेत है
जिसे बार बार लौट आना होता है
स्मृतियों में
ये बताने
कि आप ज़िंदा है

 

3.
किसी को देने के लिए
मेरे पास कुछ भी नहीं था
सिवाय इस दिल के
जब भी किसी को कुछ दिया
बस दिल ही दिया

 

4.
एक दिन जब सब ख़ाली हो जायेगा
तब
तुम और मैं बातों से भरेंगे ये दुनियाँ

 

5.
सुबह तुमसे शुरू होती है
रात तुमपे ख़त्म
तुम्हें याद करना
मेरा पहला और अंतिम काम हो गया है

 

6.
उसकी रोशनी में
देर तक नहीं पकड़ पाया उसका हाथ
जानता था
पकड़ना आसान, छोड़ना मुश्किल है

 

पहुँचना

 

एक हवा है
जो तुम्हें और मुझे जोड़ती है
एक आवाज़ है जो मुझे तुम तक पहुँचाती है
फिर भी एक दूरी है
जो मुझे तुमसे अलग करती है
पृथ्वी को थोड़ा और झुकना होगा
अपने अक्ष पर
मुझे तुम तक पहुँचने के लिये

 

जीवन

 

कितना कम मिलाजुला हूँ
और कितना क्षणिक है जीवन
कितना अजीवन भरा पड़ा है जीवन में
और कितना कम मनुष्य हुआ हूँ

 

नहीं मिल पाता जिनसे मिलना है
और क्षणिक है जीवन
फिर भी कोसों दूर है जीवन
और नहीं हो पाया उतना भी मनुष्य
कि मिल पाऊँ मनुष्यों से

 

विलाप

 

मौन एक विलाप है
और मुखरता भी
बुद्ध ने कहा था जीवन विलाप है
आदिशंकरार्चाया ने कहा जीवन विलाप है
जिसका उतर विचार है ।
कब करेंगे आदमी विचार
कि कोई पढ़े उनका विलाप

 

लौटना

 

कहीं से चलकर कहीं नहीं पहुँचा जा सकता
पृथ्वी गोल है
लौट आना
नियति है
जैसे बारिश लौटती है
ज़मीन को
और
मेघ आकाश को

 

पवन ठाकुर वर्तमान में हिमालय वैज्ञानिक अनुसंधान परिषद का कार्य देख रहे हैं। इसके साथ गौतम युवक मण्डल में सचिव का कार्य कर रहे हैं। वे अपने घर गोशाल, मनाली, हिमाचल प्रदेश में रहते है और बाग़वानी व कृषि का कार्य करते हैं।

 

 

 

 

 

 

अशरफ अबोल याजीद (Ashraf Aboul-Yazid)

अनुवाद रति सक्सेना

 

स्पाट लाइट का नक्शा

 

स्पाट लाइट चाहना करती है
अंधेरे से चोट खाई
केवल दो आँखों की
वह कामना करती है पुतलियों की
जिनमें एक हजार एक पाठ पढ़ने के लिए
अंधेरा नक्काशी करता करता है
यह कामना करती है एक चाकू की
जिससे रात की हत्या की जाये
यह कामना करती है एक सितारे की
जिसे पिघलाया जा सके
एक वीरान गिलास में,
यह कामना करती है
प्यार के एक नक्शे की।

 

एक नदी का नक्शा

 

मेरी नदी झरने की प्यास है
यह अपनी सहायक नदी की तलाश में रेंग रही है
यह खोज रही है एक घाटी, पार जाने को
प्रकट कर रही है प्यार और प्रलोभन नदी तुम्हे खोज रही है
उसके मुहाने में डुबकी मारने के लिए

 

छोड़े हुए शहर का नक्शा

 

वह लड़का लौटेगा, अपने पड़ोस में रहने वाली
लड़की का घर खोजते हुए
उसे लड़की की बालकनी में
सिर्फ सूखे गुलाब मिलेंगे
वह दरवाजा खटखटायेगा
कोई जवाब नहीं मिलेगा,
सिवाय एक सोती हुई चमगादड़ के
जो उसे मौत का इतिहास बताएगी
कांक्रीट के जंगलों द्वारा फैंके गए
रंगों के बावजूद
वह खोजेगा मकान के इर्द गिर्द की गलियों में
प्यार के चिह्नों को,
जो कभी दरख्तों के तनों पर खुदे थे
शायद अब भी हों
आंखों की निराशा सूनी
दहलीज पर आकर सो जायेगी
वह उस दरवाजे की तरफ बढ़ेगा, जो
उसे इस भूल भुलैय्या से बाहर निकालेगा
लेकिन वह बचने का पासवर्ड ही खो जायेगा
और प्रतिमा में तब्दील हो जायेगा

 

मौत की कगार में खड़े बगीचे का नक्शा

 

जितने भी रास्ते तुम तक पहुंचते हैं,
मृगमरिचिका की जीभ जैसे गीले हैं
तुम्हारे खेतों में जो हरे धब्बे हैं
वे शैवाल और बंजर धरती के मिश्रण हैं
तुम्हारे काल्पनिक बगीचे बस
तुम्हारे मस्तिष्क में रहते हैं
जंगलों की आंतों मे रहते हैं
यदि तुम इनकी आग के गुलाबों को
थामने के लिए हाथ बढ़ाओगे
तो ये तुम्हें अपने मुंह में ले लेंगे
और ड्रेगन के पेट में
तुम मिट्टी का ढ़ेर बन जाओगे

हाथ बढ़ाओगे तो

 

Ashraf Aboul-Yazid

अशरफ अबोल याजीद इजिप्ट के कवि, कथाकार और पत्रकार हैं। आपकी कृतियों को अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ है। आपनी अनेक पुस्तकें हैं, और अनेक पत्र पत्रिकाओं में लिखते रहते हैं।

 

 

 

 

Francisco Azuela.

अनुवाद रति सक्सेना

 

एकाकीपपन

 

अब पंछियों  के गीत मन्द हो गए

तूफानी रात में गूंज रही है

एकाकी और दयनीय कुत्तों का भौंकना

प्यार छितरे छितरे हो गया

एकाकीपपन, अन्ततः मैंने तुम्हें जान लिया

 

मौन की देवी और एक खोखली टहनी

जिस पर कभी पंछियों ने नीड़ बुने थे

 

महान मृत्यु के मन में प्रकट हुए

महान चरित्र

और उनके यशस्वी कार्य

 

राजा, कवि और यौद्धाओं!

देश की आजादी सबसे बहुमूल्य है

उसके लिए खून बहा है

उतना ही जितनी नदियां समन्दर की ओर बहती हैं

 

एक अजीब से किटाणु ने तुम्हारी आत्मा को भेद दिया

और तुम उसी के जैसे हो गये

भक्ति के जज्बे के कारण, अथवा उसकी  अनुपस्थिति के कारण

 

तुम महान न्याय को पूरी तरह भुला बैठे

विकृत मानव दावा करते हैं कि

उनके अधिकारों को समझना चाहिये

और  तुम बस हवा की कड़वाहट को महसूस कर पाते हो

जो उजाड़ पहाड़ों में तु्म्हारे दिलों से टकराती हैं

 

बहादुर बनो, भोर के कामरेड!

जागृति ज्यादा दूर नहीं

तुम समस्त जनों के भ्रमों को तोड़ सकते हो

यह गांव दरिद्रता में डूबा हुआ है

एकान्त के पुरातन श्वेत पंछियों को फिर से चहचहाने दो

चारणो और अशर्फियों के गीतों को गूंजने दो

संभवतया शब्द अपना चेहरा फिरा लें

दुपहरी के खूंटों पर बन्धनें के लिए

आशा के स्वप्न देखता सूर्य अस्त हो रहा है

अपनी आत्मा से भोर के मन्त्र जपो,

 

फ्रांसिस एजुएला मैक्सिकों के प्रसिद्ध कवि है, आपकी अनेक कृतियों का अनुवाद हुआ है। आप अनेक उच्च पदों पर आसीन रहे हैं, और साहित्य के क्षेत्र में सक्रिय है।

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