* All the legal application should be filed in Kerala, India, where the Kritya Trust is registered.
अफ्रीका के सिर पर भी आसमान टंगा है
खूबसूरत छतरी सा
यहां भी देवता विरजते हैं
पैरों की थापें नगाड़ों को थका देती हैं
यहां भी ताने आसमान तक उठती हैं
यहां भी मरुस्थल दिल में बसता है
यहां की जमीन में सृष्टि की संपति रहती है
जिसे छीनने दुनिया हाट सजाती है
व्यापार किए बिना हड़प जाती है
बचते हैं वे जन, धरती के पुत्र
धूप ताप में जलते हुए
बार बार छले जाते हुए
ये शब्द मेरे मन में तब आए, जब हम वर्ल्ड पोइट्री कांग्रेस से लौट रहे थे। सभी व्हाट्स एप पर अपनी ख़ुशियाँ शेयर कर रहे थे, कि अचानक खबर मिली कि एक कवि एयरपोर्ट पर ही हैं, क्यों कि उनके देश में तख्त पलट की स्थिति है। तब कुछ अफ्रीकी देशों के कवि इस महाद्वीप की दुर्दशा के बारे में लिखने लगे। हम हर बार पोइट्री फेस्टीवलों में अफ्रीका के कवियों से मिलते रहे हैं। उनकी ताल, उनकी लय और ललकारती आवाज़, हमें बेहद आकर्षित करती रही है। हम तो मान ही चुके हैं कि नेल्सन मंडेला के प्रयासों से वे पूरी तरह से आजाद हैं । हालांकि अद्भुत लगता था कि यदि वे इतने समृद्ध जमीन के बाशिंदे हैं, तो उन्हें बार बार निष्कासित क्यों होना पड़ता है? कोई अपनी मर्ज़ी से घर नहीं छोड़ता, दर दर नहीं भटकता। इसलिए हम लोगों ने विश्व में अनेक कविता पाठ 21 सितम्बर से 30 सितम्बर तक रखने का विचार किया, जिसका विषय था- Free Africa। कृत्या ने भारत में आठ समारोह करवाए, और पहली बार मुझे लगा कि यदि हम कविता किसी उद्देश्य से लिखते हैं, तो वह अलग ही तरह से बोलती है।
कविता में शक्ति है, लेकिन वह शक्ति तभी परिवर्धित होती है, जब उसका कोई उद्देश्य हो, वह चाहे प्रकृति के सन्दर्भ में हो, या मानव जाति के, कोई फर्क नहीं पड़ता है। कविता मात्र स्वभावानुभूति नहीं होती, क्यों कि यह अपने लघुकलेवर में विशालता को समेटे हुए होती है। इसी कारण से जहां कविता काम कर जाती है, वहां बड़े बड़े भाषण नहीं कर पाते। संभवतया यही कारण है कि कृत्या करीब अट्ठारह वर्षों से मात्र कविता को रेखांकित कर रही है, और कोशिश भर युवा स्वरों को स्थान दे रही है, हालांकि हमने अग्रजों से सीखना बन्द नहीं करना चाहिए।
आशा है कि आप को नया अंक पसंद आएगा।
शुभकामनाओं सहित
रति सक्सेना