हमारे अग्रज

ओक्तावियो पाज

अनुवादः राजी सेठ

(अंग्रेजी से)

 

प्रथम जनवरी

 

वर्ष का द्वार खुलता है, जैसे
अज्ञात के लिए सिरजी किसी भाषा का द्वार

गत रात तुमने कहा था
कल हमें सोचने होंगे नए निर्देश
परिदृश्य कप चिन्हित करने के लिए
बनानी होंगी योजनाएँ
दिन और रात के दोहरे वर्कों पर
कल हमें फिर एक बार
आविष्कार करना होगा
जगत के यथार्थ का

 

सुबह देर से आँख खुली
निमिष भर को जाना, जो
जाना होगा अजदक ने
उतुंग अंतरीप पर, क्षितिज की दरारों से झिरते
अनिश्चित समय की राह जोहते

वर्ष था कि आ गया था
प्रकोष्ठ में भर गया था
मेरी दृष्टि ने उसे लगभग छू लिया था
समय हमारी सहायता के बिना ही
आन बैठा था उसी क्रम में
जैसे था कल
खाली गलियों में घर
घरों पर हिम
हिम पर नीरवता

 

तुम मेरी बगल में थी
अभि तक सोई हुई
दिन तुम्हे गढ़ गया था
चाहे तुमने स्वीकारा नहीं था
दिन द्वारा गढ़ दिए जाना, अपना

न मेरा ही
अयाचित तुम, नये दिन के बीचोंबीच थीं

* * * * * * * * * *

 

मेरी बगल में तुम
मैंने तुम्हें देखा
आकारों के बीच सोए
हिम की मानिन्द
समय, हमारे बिना ही
रच गया था घर
गलियाँ पेड़
एक सोई हुई स्त्री

जब तुम जागोगी
एक बार फिर
हम विचरेंगे
उन कालों, अविष्कारों, आकारों के बीच
साक्षी हों लेंगे समय के, और
समय की संयुक्तियों के
शायद तब हम खोल पाएंगे
दिन का द्वार
अज्ञात में प्रविष्ट होने के लिए

अनुवादः राजी सेठ ( अंग्रेजी से)

Post a Comment