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प्रमुख सम्पादक

रति सक्सेना

रति सक्सेना कवि, आलोचक, अनुवादक और वेद शोधिका है । इनके हिन्दी में पाँच ( माया महा ठगिनी, अजन्मी कविता की कोख से जन्मी कविता, और सपने देखता समुद्र, एक खिड़की आठ सलाखेंऔर हंसी एक प्रार्थना है ), अंग्रेजी में तीन और मलयालम में एक ( अनूदित ) एक द्विभाषी कविता पुस्तक, “झील में मसालों की खुशबू” कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं । इनकी कविताएं, पुस्तक रूप में वियतनामी, इतालवी, आइरिश, स्पेनिश , सरबेरियन और तुर्की, इस्टोनियन आदि विदेशी भाषाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। मलयालम की कवयित्री बालामणियम्मा को केन्द्र में रख कर एक आलोचनात्मक पुस्तक लिखी ( बालामणियम्मा , काव्य कला और दर्शन ) रति सक्सेना का महत्वपूर्ण कार्य है अथर्ववेद को आधार बना कर लिखी पुस्तक ” ए सीड आफ माइण्ड – ए फ्रेश अप्रोच टू अथर्ववेदिक स्टडी” जिसके लिए उन्हे ” इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र ” फेलोशिप मिली । उनकी तीन यात्रा वृत्तान्त पुस्तक रूप में आये हैं, चींटी के पर, यात्रा वृ्त्तान्त, और संअटारी पर चांद, दो यात्रा वृत्तान्त प्रकाशाधीन हैं। एक मेमोर (स्मरणात्मक पुस्तक) अंग्रेजी में Every thing is past tense। वेदों को आधार बना कर लिखे गए लेख अपने विशेष दृष्टिकोण के कारण पठनीय रहें हैं । हाल ही रति सक्सेना की पस्तक पोइट्री थेरोपी ( a fist opens, petry theropy from distant past to presant future ) , जिस पर जयपुर फेस्टीवल में चर्चा हुई। देश -विदेश की करीब- करीब सभी भाषाओं में रति सक्सेना की कविताएं अनूदित हुईं हैं । ईरान की Golestaneh नामक पत्रिका में रति सक्सेना की कविताओं और जीवन को लेकर एक विशेष अंक निकाला गया है। रति सक्सेना ने कविता और गद्य की 15 पुस्तकों का मलयालम से हिन्दी में अनुवाद भी किया है , सात विदेशी भाषाओ की पुस्तकों का भी अनुवाद किया। अय्यप्पा पणिक्कर की कविता पुस्तक के अनुवाद के लिये उन्हें वर्ष 2000 में केन्द्र साहित्य अकादमी का अवार्ड मिला । रति सक्सेना को चालीस के करीब वैश्विक कवितोंत्सवों आमन्त्रित किया गया और अपने भाग भी लिया। रति सक्सेना दो आर्टिस्ट रेजीडेन्सी ‍ वाल बिड्रा , म्यूनिख , और चीन के छह सौ साल पुराने गांव में ले जू, में भी प्रतिभागी रही हैं।रति सक्सेना को अमेरिका के विश्वविद्यालयों में वैदिक पोइट्री पर स्वाद करने और कविता पाठन के लिये आमन्त्रित किया गया। आप www.kritya.in नामक द्विभाषी कविता की पत्रिका की संपादिका है जो देश की पहली वेब पत्रिका थी, जो पूर्णतया कविता पर आधारित है। । कृत्या नामक संस्था द्वारा 2005 से देश में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के पोइट्री फेस्टीवल आयोजित करती है। वे वैश्विक संघटन वर्ल्ड पोइट्री मूवमेन्ट की फाउण्डर मेम्बर भी हैं। कृत्या नामक संस्था, जिसकी रति सक्सेना फाउण्डर है , के द्वारा पिछले तेरह वर्षों से स्तरीय कवितोत्सव मनाए जा रहे हैं, जो अपने स्तरीय प्रदर्शन के कारण वैश्विक स्तर पर प्रसिद्ध हैं।
उन्हें मिले पुरस्कार हैं – इन्दिरा गांधी फेलोशिप नेशनल सेन्टर फार आर्ट्स (2004-5, साहित्य अकादमी अवर्ड फार ट्रांसलेशन (2000), द स्टेट बैंक आफ त्रावनकोर अवार्ड फोर पोइट्री, (2001) नाजी नामन लिट्रेरी प्राइज ( अन्तर्राष्ट्रीय ) फोर कम्लीट वर्क (2016), the DJS Translation Award for Chinese poetry (2018) एमिली डिकन्सन के नाम से चीन में स्थापित पुरस्कार, द फर्स्ट क्रेते इन्टरनेशनल पोइट्री फेस्टीवल अवार्ड फोर वर्क इन पोइट्री( 2019)राजस्थान पत्रिका कविता पुरस्कार (2020)
द पोइट आफ इयर अवार्ड 5th Boao International Poetry Award, चीन(2023), , द ग्रेन्ड सिल्वर मेडिल-Euresia (2023), राजस्थान साहित्य अकादमी का सर्वोच्च मीरा पुरस्कार (2023)।
जापान के जाक्सा मिशन जो राकेट से जुड़ा था में २३ अन्य वैश्विक कवियों के साथ उनकी कविता भी प्रतिभागी थी, जिसे स्पेस में भेजा गया था ( 2002) .
पता
रति सक्सेना
के पी 9/624, वैजयन्त
चेट्टिकुन्नु, मेडिकल कालेज, पो आ
तिरुवनन्तपुरम, 695011
केरला

रति सक्सेना
Flat No. 904
Shanmbhari’s kohinoor Residency
Rampura Road,DaDabari,
Near Mansarovar Flyover,
Sanganer,
Jaipur

फोन
9497011105

047124462434
saxena.rati@gmail.com

सम्पादक

 

संतोष कुमार सिद्धार्थ


साहित्य से लगाव और सेवा-भाव की वजह से संतोष कुमार सिद्धार्थ कवि, अनुवादक और प्रूफ रीडर के किरदार में हैं, वह Kritya की टीम के साथ फ़रवरी 2024 से जुड़े हैं I ‘सिद्धार्थ’ उनका पेन नाम हैI पेशे के तौर पर वह निजी कार्यालय में शिक्षक और काउंसिलर का काम करते हैंI छात्रों की समस्यायें सुलझाना, शिक्षण में दिलचस्पी बढ़ाना और जीवन के विभिन्न मुद्दों पर व्यावहारिक परामर्श और सलाह देना दिनचर्या का अभिन्न अंग है I वह मूलतः मुजफ्फरपुर, बिहार के निवासी हैं, पर चीनी मिलों में सेवा के दौरान उन्होंने 25 वर्ष का लंबा समय उत्तर प्रदेश में बिताया है I


किशोरावस्था से ही साहित्यिक पुस्तकें पढ़ना उन्हें प्रिय था, शुरुआत में बच्चों की पत्रिकाओं के लिए लिखा I युवावस्था में आजीविका की चिंता उन्हें सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग और कम्पूटर अनुप्रयोग की दुनिया में खीँच ले गयी I वह 1995 से 2020 तक बिहार और उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों में कंप्यूटर प्रोग्रामिंग और सूचना तकनीक प्रबंधन के कार्य से जुड़े रहे I 2011 से ब्लॉग, पत्रिका और अख़बार के लिए कवितायेँ और क्षणिकाएँ लिखना शुरु किया जो समय के साथ आगे बढ़ता गया I 2020 में कार्य क्षेत्र में रचनात्मकता के अभाव और उबन से उन्होंने स्वेच्छा से चीनी मिल की नौकरी छोड़ दी I अपने शहर मुजफ्फरपुर लौटकर शिक्षण एवं परामर्श का निजी व्यवसाय शुरु किया, साथ ही अब उन्होंने नियमित लेखन (कविता, जीवनी और अनुवाद) के लिए समय देना शुरु किया I


ब्लोगिंग के दौरान ही वर्ष 2011 में साझा संग्रह ‘शब्दों के अरण्य में’ छपी थी I अभी पिछ्ले वर्ष (2023) में निजी कविता संग्रह “कुछ कहना था …” प्रकाशित हुआ, वर्ष 2024 में दूसरा संग्रह “वो कौन …The Third Person” को Amazon Kindle पर प्रकाशित किया I इसी वर्ष साझा-संग्रह ‘अंतस के स्वर’ में भी उनकी कवितायेँ छपीं और प्रशंसनीय रहीं I अब वह जीवनी लेखन और कविता-अनुवाद में भी कदम बढ़ा रहे हैं I जीवन की चुनौतियां और मानव मन उन्हें हमेशा से प्रेरित करते रहे हैं I

बृजेश सिंह

 

 

 

 

 

 

कलाकार

बी डी दत्तन-

ललित कला अकादमी के सम्मानित सदस्य,मलयालम एन्साइक्लोपीडिया विभाग के कला संपादक, केरल ललित कला अकादमी के सदस्य, १९७३ से २०००तक अनेक एकल चित्र प्रदर्शनियाँ की । आपके चित्र नेशनल म्यूजियम, मादर्न आर्ट गैलरी, पार्लियामेन्ट हाउस, केन्द्र ललित कला अकादमी, श्री चित्रा आर्ट गैलरी राजभवन में आपके चित्र प्रदर्शित हैं । आपनेकृत्या के ” शुभंकर” की रचना में विशेष सहायता प्रदान की है ।

 

प्रभाकर छत्तीसगढ़ के चित्रकार जिन्होंने कृत्या के लिए अनेक चित्र बनाए ।

 

 

 

 

Sanju Paul is her pen name, original being Sanjeev Kumari Paul. She is a veterinarian by profession and a poet and an artist by passion. She belongs to Himachal Pradesh (India) and has been involved in multiple projects of literary, artistic as well as scientific temperaments ranging from very local to global ones. She has also developed an artistic technique of carved and washed paintings using discard PVC sheets as canvas and tooth pick paintings on canvas. Pen sketching is another art form she uses to express herself. In addition, she also has a short film named “Catharsis” and interview film “The Petrichor” to her credit. Presently she is involved with her art studio “Sanjupaul’s Art Residence” along with her routine life.

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