अग्रज कवि

Zheng Min 郑敏 (1920-3 January 2022) आधुनिक चीनी कविता की पुरोधा मानी जाती हैं चीन के नव पत्र समूह (Nine Leaves circle )की कवि हैं। साउथ वेस्ट यूनाइटेड यूनिवर्सिटी में अध्ययन करते हुए उन्होंने 1940 से कविता लेखन आरम्भ किया था, इसके उपरान्त वे दर्शन के अध्ययन के लिये ब्राउन यूनीवर्सिटी , अमेरिका गई 1955 में वे पुन चीन लौटी, और बीजिंग नार्मल यूनीवर्सिटी में अध्यापन करने लगीं.

 

Translated from the Chinese by Ming Di

हिन्दी में अनुवाद, रतिसक्सेना

 

सुनहरे धान के पूले

 

शरद ऋतु में सुनहरे धान के पूले
अभी अभी कटाई किये खेतों में खड़े हैं
मैं थकी हुई माताओं के बारे में सोचती हूँ
धुंधलके में सड़क पर थके चेहरों को देखती हूँ
कटाई के दिन पूर्ण चन्द्र दरख्तों के
ऊपर से झांकता है

 

उस चान्दनी में दूर स्थित पर्वत
मेरे हृदय में आ विराजते हैं
इससे अधिक शान्तता कहाँ, एक मूर्ति

 

कंधो पर अतिक्लांतता लिये
तुम सोचते हुए सिर झुका लेते हो
दूर दूर तक विस्तृत इस शरद ऋ्तु के खेत में
शान्तता, शान्तता, इतिहास क्या है
तुम्हारे कदमों के नीचे बहता एक नन्हा सा झरना
जिस पर तुम खड़े हो
मानवता के विचार लिए

 

ममी

 

रेशम में कस कर
बंधी हुई, पीली देह,
एक कमल का फूल,
जमीन के भीतर पांच मीटर भीतर
तुम और मैं,
कब्र के करीब पाषाण से खड़े
या फिर ये पाषाण अश्व
हम दफना दिये गये हैं
अमरत्व में

कब्र बन्द हैं , साथ में दुनिया
के घनघनाती आवाजें भी

 

एक शाम
मैं भीड़ भड़क्के वाली सड़क पर
अकेली चल रही थी, तभी मुझे कमल की गंध महसूस हुई
साथ में अस्पष्ट सी आर्गन की ध्वनि सुनाई दी

जमीन के पाँच फीट नीचे से ममी
एक सन्देश भेज रही है

 

दृष्टिपात

 

अधखुले दरवाजे के पीछे से झांकती एक युवा लड़की को याद करते हुए

 

अपनी परछाई में डूबते वे दो कंधे
कितने खूबसूरत हैं, आर्किड की तरह
रक्ताभ चेहरा, अचानक एक सपना आ कर
नीचे दरवाजे पर टिकी उंगलियों से बतियाने लगता है

 

वक्त की नदी दूसरी पत्ती को बहा ले जा रही है
उसली अधखुली आखों से,स्फिंगक्स सा, शान्तता के चमकदार
प्रवाह सा, उसकी क्षुब्ध करती सी नियत शान्तता क्षुब्ध
उसकी ना बदलने वाली खूबसूरती संक्षिप्त जीवन के समक्ष
वह अचानक इस साँझ बदलती दुनिया को
देर तक निहारती है

 

Translated in to Hindi by Rati Saxena

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