Boglárka Pápai सोलह वर्षीय हंगरी की Boglárka Pápai की दिल छूती कविताएं     रिक्तता   मै दम घूटाने वाले, लेकिन संकेत  देने वाले दुःस्वप्न में हर दम के लिए खो जाना चाहती
लीक से हट कर कविताएं   कृत्या के इस अंक में हम जन सामान्य की कविताएं लेकर आ रहे  हैं, अर्थातं उन  कवियों की कविताएं जो साहित्यिक
लगनचंद की कविताएं सहज मन की कविताएं हैं, लगन समाज के नासूरों को लिख रहे हैं। कविता में शिल्प के स्थान पर विषय पर ध्यान
मृदुला गर्ग   मृदुला गर्ग (जन्म:२५ अक्टूबर, १९३८) कोलकाता में जन्मी, हिंदी की सबसे लोकप्रिय लेखिकाओं में से एक हैं। उपन्यास, कहानी संग्रह, नाटक तथा निबंध संग्रह
मेरी बात बहुत दिनों से यह सवाल था कि क्या साहित्यिक विधाएं कुछ समूहों तक सीमित रह जाएंगी? या जन सामान्य के पास पहुंच भी पाएंगी?
नितेश व्यास   अभी मैं   अभी मैं शान्ति का संगीत सुनता हूं अभी मेरे कानों को फोड़ती हैं दर्दनाक चीखें   अभी मैं स्नान करता हूं अभी मेरी आत्मा धंसती जाती है
विनोद दास   1 गाँठ एक मीठे समय में तुमने अपनी बाँह मुझे दिखायीं ! जहाँ एक कड़ी गाँठ थी चियाँ सी छोटी और कड़ी फिर तुम मेरी अँगुली पकड़कर ले गयीं अपनी पिंडलियों
आखिरकार इंसान को कविता या गीतों की जरूरत ही क्यों पड़ी? वह तो अच्छा खासा शिकार कर रहा था, खा रहा था, परिवार भी बनाना
लोकनाथ यशवन्त की इस कविता    एक अध्ययन ओम प्रकाश वाल्मीक आवेग
कमलादास   अनुवाद रति सक्सेना   वर्तमान कवयित्रियों में शायद कमलादास का नाम सबसे ज्यादा विवादग्रस्त रहा है। अपने वक्त से पहले चलने वाली इस कवयित्री में बला का