अवसाद का साहित्य   पीड़ा और अवसाद एक दूसरे से भिन्न स्थितियाँ हैं, यद्यपि दोनो का मूल स्थान एक ही है। जब नोबल सम्मान प्राप्त चीनी साहित्यकार
क्रान्तिकारी सन्तगुरु नारायण की चुनी हुई कविताएँ‍   * 'जाति निर्णय मानव की जाति है मानवता, जैसे गायों की जाति है गोत्व। ब्राह्मण आदि उसकी जाति नहीं, हाय! न जाने कोई तत्त्व
राजीव तिवारी स्मृति स्मृति बहुत बाद में साथ छोड़कर जाती है शरीर पर से पूरी पकड़ छूटने से कुछ समय पहले तक साथ रहती है बहुत बार अंतिम सांस तक स्मृति
हेमंत देवलेकर 1 आदमी और गेंहू अपने हुलिये की जानकारी देतेजब आया सवाल रंग कामैंने कहा - गेहुँआपहली बार मुझे महसूस हुआमेरी जगह गेहूँ का एक दाना खड़ा
विपिन चौधरी की कविताएं   ठहरना   ठहरना अब ठहरना   दूर की चीज़ों पर करीब की नज़र बनाये हुए ठहरना दूरियों के लिए ठहरना, दूरियों के याद रखने और भूल जाने के अंतरदोष को नज़रअंदाज़
सिद्ध कवि मिला रेपा (17 सदी AD) अनुवाद और प्रस्तुति केलांग के प्रसिद्ध कवि अजेय द्वारा (पुनः प्रकाशित ) भारतीय सिद्ध तिलोपाद की परंपरा में सिद्ध मिलारेपा संभवतः
 अचल पुलस्तेय   अचल जी लगातार सामाजिक राजनीतिक समस्याओं के विरोध में आवाज उठाते रहते हैं। यही नहीं वे साइंस के देशी पक्ष को भी नहीं नकारते
कविता कृष्णपल्लवीकविता कृष्णपल्लवी एक ऐसी आवाज हैं, जो बेबाकी से समाज के तथाकथित सभ्य समाज की सींवन उधेड़ती हैं। वे एक तरह से समाज कोइना
यूं तो बहुत सी बातें हैं, जो मुझे करनी चाहिए। सबसे ज्वलन्त तो गाजा की तकलीफ दायक चित्र हैं, जिनका वैश्विक राजनीति कोई हल ही