विपिन चौधरी की कविताएं   ठहरना   ठहरना अब ठहरना   दूर की चीज़ों पर करीब की नज़र बनाये हुए ठहरना दूरियों के लिए ठहरना, दूरियों के याद रखने और भूल जाने के अंतरदोष को नज़रअंदाज़
सिद्ध कवि मिला रेपा (17 सदी AD) अनुवाद और प्रस्तुति केलांग के प्रसिद्ध कवि अजेय द्वारा (पुनः प्रकाशित ) भारतीय सिद्ध तिलोपाद की परंपरा में सिद्ध मिलारेपा संभवतः
 अचल पुलस्तेय   अचल जी लगातार सामाजिक राजनीतिक समस्याओं के विरोध में आवाज उठाते रहते हैं। यही नहीं वे साइंस के देशी पक्ष को भी नहीं नकारते
कविता कृष्णपल्लवीकविता कृष्णपल्लवी एक ऐसी आवाज हैं, जो बेबाकी से समाज के तथाकथित सभ्य समाज की सींवन उधेड़ती हैं। वे एक तरह से समाज कोइना
यूं तो बहुत सी बातें हैं, जो मुझे करनी चाहिए। सबसे ज्वलन्त तो गाजा की तकलीफ दायक चित्र हैं, जिनका वैश्विक राजनीति कोई हल ही
Boglárka Pápai सोलह वर्षीय हंगरी की Boglárka Pápai की दिल छूती कविताएं     रिक्तता   मै दम घूटाने वाले, लेकिन संकेत  देने वाले दुःस्वप्न में हर दम के लिए खो जाना चाहती
लीक से हट कर कविताएं   कृत्या के इस अंक में हम जन सामान्य की कविताएं लेकर आ रहे  हैं, अर्थातं उन  कवियों की कविताएं जो साहित्यिक
लगनचंद की कविताएं सहज मन की कविताएं हैं, लगन समाज के नासूरों को लिख रहे हैं। कविता में शिल्प के स्थान पर विषय पर ध्यान
मृदुला गर्ग   मृदुला गर्ग (जन्म:२५ अक्टूबर, १९३८) कोलकाता में जन्मी, हिंदी की सबसे लोकप्रिय लेखिकाओं में से एक हैं। उपन्यास, कहानी संग्रह, नाटक तथा निबंध संग्रह
मेरी बात बहुत दिनों से यह सवाल था कि क्या साहित्यिक विधाएं कुछ समूहों तक सीमित रह जाएंगी? या जन सामान्य के पास पहुंच भी पाएंगी?