पाब्लो नेरुदा बीसवी सदी के महानतम कवि पाब्लो नेरुदा ने जीवन की बहुविध छवियों को अपनी कविता में आत्मसात किया है। नेरुदा के बारे में अधिक
मेरी बात        पानी और सोना एक प्यास बुझाता है तो दूसरी बढ़ाता है हम इतने अमीर है कि सोने से लदे जा रहे हैं हम इतने गरीब है
राजेन्द्र नागदेव   आभार   अभी-अभी रोशनदान से आया धूप का मुलायम टुकड़ा मैं उनींदे चेहरे पर मलता हूं और अपनी सुरक्षित चारदिवारी से बाहर निकलता हूं रात भर जगीं खंभों पर बैठी बत्तियाँ
अदनान काफील दरवेश कमल मेहता   बहुत सारी रातें हैं यहां जुगनुओं की तरह टिमटिमाती कब्रिस्तान में श्मशान में बहुत सारी रात होगी मेरी कब्र में जिसमे छिपा होगा कोई न कोई दिन का सुराग।   देश के
मौलाना जलालुद्दिन रूमी अंग्रेजी से हिन्दी में अनुदित किया है संपादिका रति सक्सेना ने। कवि के रूप में रूमी कभी भूत काल में नहीं गए, उनकी काव्य
भाई वीर सिंह (1872-1957) डा शशि सहगल भाई वीर सिंह (1872-1957)का जन्म उस समय हुआ था जब भारत में कई सुधारवादी आन्दोलन चल रहे थे और अपनी
बेल्ला अख्मादूलिना () अनुवाद - वरयाम सिंह   बेल्ला अख्मादूलिना का वास्तविक नाम है इजाबेल्ला। आपका जन्म मास्को में इतालवी एवं तातर मूल के परिवार मे जन्म हुआ।
पिछले तीन महिने मेरे दैहिक पीड़ा से रूबरू होने वाले दिन थे। इन दिनों जब मैं ICU में अहसाय सी पड़ी थी, तब मैंने अनुभूत
कृत्या टीम के सदस्य संतोष जी अनुवाद तो करते ही हैं, कविता की पड़ताल भी अच्छी करते हैं। अनुवाद के दौरान उन्हें कवि को समझने
समकाल की कविताएं प्रदुम्न कुमार यादव 1- बेच के अनाज अपने खेत का , निकला हूं शहर को रोटियां कमाने। छोड़ आया हूं अपनी बूढ़ी मड़ैया को, जगह उसके एक छोटा