मेरी बात

मैं यहूदी कवि की कविताओं के अनुवाद का अन्तिम पाठ देख रही थी, हर बड़ी कविता के बीच एक नन्ही कविता कड़ी का काम कर रही थी, शीर्षक एक ही था, ” हत्यारे हमारे बीच” इन हत्यारों में उन स्थितियों का उल्लेख था, जिनको हम साधारणतया समझ बूझ नहीं पाते हैं। दरअसल हम युद्ध क्षेत्र में चल रहे युद्धों से कुछ प्रभावित जरूर होते हैं, लेकिन भूल भी बहुत जल्दी जाते है, आजकल समाचार के इतने अधिक माध्यम हो गए है कि हम पर किसी भी माध्यम का बहुत देर तक प्रभाव नहीं रहता है।

यह स्थिति बेहद खतरनाक है, क्यों कि हम भाव स्तर पर कुन्द से पड़ जाते हैं, और धीमे धीमे अवसाद की स्थिति आ जाती है। यही कारण है कि कविता अपने वक्त को लिखने का भी माध्यम है,

कविता का स्मृति में टिकाव कुछ अधिक वक्त के लिए संभव है, इसलिए ये ध्यान भी जल्दी आकर्षित करती हैं, और स्मृति में ठहरती भी लम्बे वक्त के लिए हैं।

मुझे लगता है, कि जरूरी मुद्दों पर कविता इस काल की आवश्यकता हैं।
कृत्या लगातार कविता को रेखांकित करती हुई अपने समय को उकेरने की कोशिश कर रही है, चाहे वह अभासित पृष्ठ ही क्यों न हो।

कविता के मार्च अंक के साथ

हमें खुशी है कि युवा जन हम से जुड़े हैं, उनका स्वागत

 

शुभकामनाएं

रति सक्सेना

Post a Comment