अग्रज कवि
Percy Bysshe Shelley (4 August 1792 – 8 July 1822)अ्ग्रेजी के प्रमुख रोमान्टिक कवि माने जाते हैं। यद्यपि उन्हें अपने जन्म के समय प्रसिद्धि नहीं मिल पाई थी, लेकिन मृत्यु के उपरान्त वे महत्वपूर्ण रोमान्टिक कवि के रूप में स्थापित हो गए। उनकी प्रसिद्ध कृतिया हेँ “Ozymandias” (1818), “Ode to the West Wind” (1819), “To a Skylark” (1820),”The Mask of Anarchy” (1819). आदि।
शैली की कुछ कविताओं का हिन्दी में अनुवाद करने की कोशिश की गई है, जो उस काल के कवित्व पर भी प्रकाश डालती है।
अंग्रेजी कवि शैली की कविताएं
अनुवाद – रति सक्सेना
THE INDIAN SERENADE
रात्रि की प्रथम मधुर निद्रा में
तुम्हारे स्वप्न से उगता हूँ मैं
जब कि हवा की सांसें मध्यम हो
और तारकों की चमक तीव्र
तुम्हारे स्वप्नों से उगता हूं मैं
एक रुह मेरे पैरों को ले चलती है
न जाने कैसे ?
हवा के कक्ष की ओर मेरी मधुर प्रिया!
शान्त नदी की धार, वे चेतना खो बैठते हैं
अंधेरे पर, भटकती हवाओं के बीच
सपनो में मीठे विचारों की तरह
चम्पक की खुशबू विफल हो गई
नाइटएन्जिल उलाहना देती है
उसके दिल पर आघात करता है यह
वैसे ही जैसा कि तुम्हें देना चाहिए उलाहना
ओ, तुम मेरी प्रियतमा हो
अरे मुझे घास पर से उठाओ!
मैं मर रहा हूँ! बेहोश हूँ! असफल हूं!
अपने चुम्बनों की बारिश होने दो
मेरे होंठ और पलकें पीली पड़ गईं हैं।
मेरा गाल ठंडा और सफेद हो गया, ओह!
मेरा दिल जोर से धड़कने लगा है;
आह! इसे फिर से दबाओ,
आखिरकार जहां टूट जाए।
दुख का आह्वान
आओ, खुशी खुशी! मेरे करीब बैठो,
छाया-निहित पीड़ा:
मौन, अनिच्छुक, मूक दुल्हन,
अपने दर्प के चोगे में शोक,
वीरानी – उदासी!
आओ,खुशी खुशी! बैठो करीब मेरे:
मैं तुम्हे उदास लग सकता हूं
तुमसे कहीं ज्यादा खुश हूँ मैं,
लेडी, तुम्हारी शाही भौंहें
उदासी से भरी हैं।
दरीद्रता! हम परिचित हैं एक दूसरे से
मानो कि बहन भाई हों
एक ही घर में रहते वाले
अनेक वर्षों से – अभी बाकी है जिन्दगी में
कुछ घंटे या उम्र।
‘बहुत बुरा वक्त है, फिर भी
हम इसे बेहतर बनाएं
खुशी के मरने पर भी यदि प्रेम जीवित रहता है
हम दोनों प्यार करें तब तक
जब तक हमारी आंखों और दिल में
नरक भी स्वर्ग लगने लगे़
आओ खुशी मनाओ!
ताजी कटी घास पर लेट जाओ
जहां टिड्डे खुशी से गा रहे हैं
दुःख की दुनिया में कम से कम
एक आनन्द देने वाली चीज
वहां हमारा तम्बू विलो पेड़ होगा
और मेरी बांह तुम्हारा सिरहाना
ध्वनि और गंध उदासी से भरपूर
क्यों कि कभी मधुर थे, वे शान्त हो
हमें नीन्द में गहरा देगा
समय
अथाह समन्दर! लहरें हैं जिसकी
वर्ष साल
समय का समन्दर, जिसका जल मानव अश्रु की
गहरी पीड़ा का खारापन है, हे तटहीन जलप्रलय,
जो तेरे उतार-चढ़ाव में है
मृत्यु दर की सीमाओं को पकड़ें,
और शिकार से पीड़ित, फिर भी
चिल्ला रहा है, और अधिक के लिए
अपने दुर्गम किनारोा पर मलबे की उल्टी करते
शांति में विश्वासघाती, और तूफान में भयंकर
तेरे सामने कौन आगे बढ़ेगा
ओ अथाह समन्दर!