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गौतम वेगड़ा
प्रतिभाशाली युवा कवि गौतम वेगड़ा एक चित्रकार, रिसर्च स्कॉलर हैं, तथा आपकी अंग्रेजी और गुजराती में लिखी गयी कविताओं का केंद्र बिन्दु जातिगत भेदभाव हैं। वह गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रहे हैं तथा मार्जिनल लिटेरचर में शामिल पर्यावरण न्याय, जाति और मानव-पशु संबंधों पर काम कर रहे हैं। गौतम के अंग्रेजी में ‘वल्चर्स एंड अदर पोएम्स’ (2018) एवं ‘ए स्ट्रेंज केस ऑफ फ्लेश एंड बोन्स’ (2019) दो कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं और कई कविताएं वैश्विक एंथोलोजी में भी सम्मिलित हो चुकी हैं। गौतम वेगड़ा ने आईआईटी गांधीनगर, एनआईडी बैंगलोर, एनआईडी अहमदाबाद, गुजरात विद्यापीठ आदि जैसे राष्ट्रीय महत्व के विभिन्न उच्च संस्थानों में साहित्य, रचनात्मक लेखन, पर्यावरण मानविकी, व्यावसायिक संचार जैसे विषयों को पढ़ाया है।
मेरे पूर्वजों के हाथ रहे
युगों तक बंजर, अदृश्य रूप से।
अंगूठे चीर दिए गए
और जीभें काट दी गयीं
जब कभी सीखने की चाह हुई।
अंतत, आज मेरे पास मात्र एक कलम है
मुझे ख़ुशी महसूस नहीं हो रही है,
एक मात्र विचार जो मेरे मन में धड़कता है
वह है अपना इतिहास लिखने का
अपने घोंटे गये अस्तित्व का
कौन जानता है कि मुझे यह कलम दोबारा कभी मिलेगी?
मैं मौज-मस्ती नहीं चाहता
रेत का महल बनाकर मैं आनंदित नहीं
मैं तो बस यही चाहता हूँ कि लिखूं और लिखता रहूँ
क्या पता कोई ख़ंजर या गोली
कल मेरी कर रही हो प्रतीक्षा?
क्या पता यह कलम भी मृत हो जाए
मेरे शरीर के साथ?
समय समाप्त हो रहा है।
मरने से पहले मुझे हर पल लिखना है।
काश मेरे तीन हाथ होते
स्याही को दोषरहित चलाने के लिए
वैसे भी, मुश्किल से ही मुझे अब कलम मिली है।
मैं इसे ऐसे कैसे फिसलने दे सकता हूँ?
(हिन्दी अनुवाद – तेजी सेठी)
क्षुधित, सिकुड़े, और शिथिल
मेरी माँ के स्तन,
जैसे-जैसे जीवित रहने के लिए
मैंने उन्हें आत्मसात किया, सूख गए
पसीने और सीमेंट का मिश्रण
जिसे मैंने मजे से निगल लिया,
माँ के बोध के अलावा कुछ नहीं था
मुझे पालने में झुलाया गया,
फटे लाल कफ़न से बने,
कंक्रीट मिक्सर के नीचे बंधा हुआ,
मशीनरी का अवलोकन करता
निचले-कोण दृश्य से
एक पेंडुलर गति में,
मानो कोई चमगादड़ छत पर लटक रहा हो
मेरी मां ने मुझे सिखाया
दुनिया को उल्टा देखना,
और अनदेखा करना
उसके सिर पर उठाए
सीमेंट बैग, कंक्रीट, और ईंटों के बोझ को
हम, चमगादड़, पाले गए
चीज़ों को उल्टा करने के लिए
आप कोई भी पदानुक्रम गढ़ सकते हैं.
मैं उसे उल्टा करना सुनिश्चित करूंगा।
(हिन्दी अनुवाद – तेजी सेठी)
सुनो, मेरे अजन्मे बच्चे
तैयार हो जाओ उस जंग के लिए
जैसे कि हम थे
मैंने एक मैनहोल देखा है
जो ब्लैकहोल से भी बड़ा है
दूसरे से रोशनी नहीं गुजर सकती
पर पहला तो अमोघ है …
तुम्हारे अधिकारों को भी रोक लेता है
संघर्ष आत्मसम्मान का
अब यही तो है अध्यात्म हमारा
तुम तारा बनो इस डार्क मैटर में,
घटने न दो चमक…
न मंद पड़ने दो असर
अपने न्यूक्लियर फ्यूजन का
चमको आकाश में …
चंहुओर अपनी चकाचौंध भर दो
इस संघर्ष में अगर तुम मर भी गए
तो दुखी मत हो मेरे बच्चे.
तुमसे ही एक सुपरनोवा का उद्भव होगा,
नये तारे जन्म लेंगे तुम्ही से
तुझसे ही उत्पन्न प्रघात तरंगे
और ब्रह्मांडीय किरणें
उलट-पलट कर रख देंगी
इन युगों पुरानी व्यवस्था का
तारे कभी कैद नहीं हो सकते ,
कभी-भी बेड़ियों में जकड़े नहीं जा सकते !
(हिन्दी अनुवाद – संतोष कुमार)