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अय्यप्प पणिक्कर

अय्यप्प पणिक्कर मलयालम कविता के प्रमुख हस्ताक्षर हैं । उनकी पहचान वैश्विक कवि के रूप में भी है।अय्यप्पा पणिक्कर को आधुनिक मलयालम कविता के प्रवर्तक और प्रयोक्ता के रूप में जाना जाता है । आपने पूर्वकालीन प्रभाव से मुक्त होकर पूर्ण यथार्थवादी, समसामयिक, रोजमर्रा की बोलचाल में कविता लिखने का साहस किया । अय्यप्पा से पहले लिखी गयी वेदनामय कविताएं आत्मदुख को मण्डित करती हुई पाठक को कवि के लोक में ले जाती थीं, वहीं आपकी कविताओं का पाठक ही वक्ता का स्थान ले लेता है । आपकी कविताएं जिन्दगी के कटु सच को प्रस्तुत करने का साहस रखती हैं । अय्यप्पा की कविताओं की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि आपकी 40-45 साल पहले लिखी कविताएं, आज भी समसामयिक लगती हैं । आपकी लम्बी कविता “कुरुक्षेत्र” इसका सशक्त उदाहरण है।कृत्या में हम अय्यप्प की कविताओं को देने का प्रयत्न करेंगे जिससे नई पीढ़ी उनको समझ सके।

 

 

1. महात्मा के बेटे

चक्रवती मोहन गांधी के
अनेक बच्चो में से एक
बार में बैठा है
रात गहराने तक
कुछ खाए बिना
कुछ पिए बिना
स्वप्न तक देखे बिना ।
अम्माओं बप्पाओं के पिता
राष्ट्र के पिता
सारे बच्चों के परम पिता
राजघाट में ढांक-ढूंक लिटाए गए
कहीं उठ कर न चले आएं
पुष्पचक्रों से ढ़कें हैं
दिन रात सन्तरी पहरा देते है
रामधुन गुनगुनाई जा रही है ।
रात कुछ गहराने पर
सन्तरी बन्दूक टिका ऊंघता है
कौन है जो सड़क रौंदता
अकेला चला जा रहा है
क्या तेजी है चाल में
वर्धा, साबरमती, डांडी
नौआखाली, दिल्ली…
जरा धीरे चलो महात्मा
एक कोका कोला पीकर
हम भी साथ पकड़ते हैं
इतनी भी जल्दी क्या है?
अकेले चलने की ही आदत है क्या?
वे चलते चले गए
हमारी भीतर की फुर्ती न जाने कहां चली गई?

2. सलीब का मार्ग

सोने की कुटिया छायी
सोने के फूस का गट्ठर बनाया
सोने से रेशम
संगमरमर की मरियम गढ़ी
वे इंतजार में हैं प्रभु
तू क्यों जन्म नहीं लेता?

गुलाम को खरीदकर सिर पर कांटे का ताज पहनाया
लोहे की कीलें ठोंक पांच घाव बनाये
फिर उसे कर दिया बन्द कंक्रीट के कमरे में
वे इंतजार कर रहे हैं प्रभु!
तू क्यों नही अवतरित हो रहा अब तक!

3. आनन्द भैरवी

एक लहर नहीं है सागर
एक पेड़ नहीं है कानन
एक रंग नहीं है इन्द्रधनुष
एक स्वर नहीं है संगीत

महिते, भारत वसुधे
तेरे गौरव का गान करें हम
सुखदे, शुभजन चरिते
तेरी महिमा गा जगते हम

शत पंख फैला मयूर नाचता है
एक मयूर में शत पंख नाचते हैं
आर्य द्रविड समन्वय
आदिवासी समागम
पूर्व पश्चिम समन्वय
दक्षिणोत्तर समागम

गा रहा है विभिन्न गीत
पक्षीकुल, वृक्षलतादि
नाच रहे हैं विभिन्न ताल
वन, पर्वत, घाटियां और सागर
सात स्वरों में आल्हाद करते
कैसे तेरे नाद लय?
सात चरणों कैसे
सहस्र तन्त्रियों वाले
अनश्वर तंबूरे में
अनन्त विचारधाराएं मिल बनता
आनन्द भैरवी राग-गान

एक लहर नहीं है सागर
एक पेड़ नहीं है कानन
एक रंग नहीं है इन्द्रधनुष
एक स्वर नहीं है संगीत

4. वीडियो मौत

“दीदी! अमेरिका से कोई फोक्स आया?”
“फोक्स? लोमड़ी? देखती हूं, क्लिण्टन है या कोई और।”

“अरे नही, क्लिण्टन भैया को तो मैं जानती हूं,
वो कोई टेलीग्राम से होता है न!”
“फैक्स! अच्छा, अच्छा देती हूं,
यह भाई का लेटर है….लो पढ़ो।”

“माई डियर सरो, मालूम हुआ
हमारी मदर कुछ सीरियस हैं
लेकिन यहां बूंदाबांदी हो रही है
अमेरिका की बूंदाबांदी
तुम क्या समझ पाओगी
इसीलिए तो घर नहीं आ पा रहा ।
मदर की मौत का वीडियो जरूर भेजना”
आखिर सांस से लेकर सारे क्रिया-करम
जैसे शव को नहलाना, नया कपड़ा ओढ़ाना
चावल मुंह में डालना, बलि,
जलती चिता, हंडिया फोड़ना आदि
देख नहीं पाये हैं
इसलिए ये भी देखना चाहते हैं
देखो “ब्लेक एण्ड व्हाइट” और “कलर”
अलग-अलग लेना
मर्लिन “ब्लेक एण्ड व्हाइट” पसंद करती है
जैक्लिन का कहना है कि
कलर के बिना चिता फिल्म का मजा ही क्या!

वीडियो वाले पहले ही बुक करवा लेना
“वीडियो वक्त पर नहीं मिला
या अम्मा धोखा दे गई” ये बहाना मत बनाना
अच्छा कैसेट चाहिए तो यहीं से भेज दूंगा
बरसात नहीं होती तो मैं ही आ जाता
कैसेट बढ़िया होना चाहिए
बहुत लोगों को दिखाना है ।

“द लास्ट मोमेण्ट्स आफ एन इण्डियन मदर”
यही टाइटिल ठीक रहेगा
शादी का वीडियो है, ऐसा कन्फ्यूजन नहीं होना चाहिए
गमी में आए लोगों के चेहरों पर
घुमाकर कैमरा मत भिगो देना
क्रिसमस पर सभी दोस्त आएंगे
वीडियो देखने
उससे पहले ही भेजना

शेष फिर-वीडियो मिलने पर
अम्मा जी को भी जरा एडजस्ट करने को कहना
क्रिसमस से पहले ही …..
बूंदाबांदी की बात अम्मा को भी बतला देना
टेक केयर!

5. दिन और रात
(लम्बी कविता का एक अंश)

नवम्बर ‍7

पहाड़ों और नदियों ने
मुझ से क्या कहा ?
“स्वार्थ ही दुख है ।”

महायुद्ध ने भी यही कहा
तेज अंधड़ और चीखों वाली
काली रातो में
असहनीय दुख भार से
मैं फूट-फूट कर रोया बच्चे,
लेकिन
अतिशान्त नव प्रभात होने पर
संसार की सारी परछाइयां
मुझमें ही इकट्ठी हो गईं
अपने को भूल कर लेटने पर
ही तो, बच्चों
मैंने जाना कि सुख क्या है।

“यही तो वेदांत है न प्राचीन?
इसके बारे में
इसके बारे में न जाने कितने शास्त्र लिखे मैंने
इससे ज्यादा इसका मूल्य ही क्या?”

पहाड़ों, नदियों
और महासमुद्र ने
चुप्पी धारण की
जो सीखना चाहिए
उसे सिखलाया नहीं जा सकता
यह बात वे याद रखेंगे ।

इण्डन

इण्डन चाचा ने अपने बाएं पांव में लगी कीचड़ को
अपने दाएं पांव से पोंछी
फिर बाएं पांव से दायां पांव पोछा
फिर दाएं पांव से बायां पांव पोछा
फिर बाएं पांव से दायां पांव पोछा, तो
फिर………..

खुजली

पहली खुजली मेरे

दाहिने घुटने पर मचती है
आखिरी खुजली मेरे
बाएं घुटने पर मचती है
खुजली है, खुजली है
खुजली है, अरे लोगों!

देव को जब खुजली हुई तो
यह संसार पैदा हो गया
खुजली से ही देव पैदा हुए-
दूसरा मत, दोनो में तर्क वितर्क!

मुझे मालूम है एक ही परमार्थ
खुजली ही परमानन्द,
बाकी सब कुछ मिथ्या है
केवल यही है सनातन सत्य!

अनुवाद‍ – रति सक्सेना

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