समकालीन कवि

अकबर (मलयालम कवि)

Translated by Rati Saxena

 

होसन्ना

 

भोर के आरंभ में,
कोमल हथेली
यरूशलेम में,
चर्च की घंटी।
बजा रही है

 

घायल बच्चों के ऊपर.
जैतून की शाखाएं हिल रही हैं
मसीहा कहाँ है?
बमों से गूंजता है
शोक का विलाप.
सड़कों पर प्रार्थनाओं के साथ
फैल रहा है
शोक का विलाप

 

युद्ध खेल

 

सुबह सुबह,
मैंने सपना देखा
कि दुनिया के सभी बच्चों की
मौत हो गई थी.
मेरे आँगन में चमेली के पौधे
बिना सुगंध के खिले।

मैंने अपनी थकी हुई आंखें मलीं,
मेरे बच्चों के कमरे में झांका-
लेकिन वे वहां नहीं थे.

मैं उस सपने को याद करने की
कोशिश करता हूं जो मैंने देखा था,
युद्धों के बीच
खेलते हुए बच्चों की स्मृति आती है
आग के गोले उन पर गिर रहे हैं
मेरा दीमाग अभी भी भारी है

मेरी आवाज,
चिल्लाते हुए उनका दौड़ना,
अब लुप्त होते जा रहे हैं.

मुझे बच्चे याद हैं
यूक्रेन के,
फ़िलिस्तीन,
यज़ीदी,
इज़राइल,
और सोमालिया…
सभी मेरी आँखों के सामने मर गये।

मैंने अपने बच्चों की तलाश की
कमरों और आँगन में झांका
मेरे अंदर डर बढ़ रहा है.
उनके मुस्कुराते चेहरे
अचानक सब कुछ पलट गया
खून से सनी यादें,.
मेरा फ़ोन बजा,
मैंने डरते हुए जवाब दिया।

वैप्पी…
हम यहाँ युद्ध खेल रहे हैं।
जब मैंने पूछा कहां,
उन्होंने कहा,
बच्चों की दुनिया में-
और फ़ोन रख दिया.

हाँ,
बच्चों की दुनिया में,
कोई दिक्कत तो नहीं है ना?

हाथ में बन्दूक लेकर,
मैंने पड़ोसी के आंगन की ओर निशाना साधा
और ट्रिगर खींच लिया…

चमेली के फूल
जमीन पर झर गए।

 

मौन, विरक्त

तुम
दरख्तों के मध्य हवा की तरह
लहराती हो

तुम नदी में
अपना प्रतिबिम्ब देखती हो
बरखा की तरह

धूप अपने को सुखाती है
खेतों में

वही सांस
वही शब्द

सभी खुशबू सभी
स्मृतियों में

जिन्दगी अब मौन है प्रेम की तरह
विरक्त की तरह है
ईश्वर की तरह

अकबर मलयालम कवि हैं। उनका जन्म और पालन-पोषण नेरियामंगलम में हुआ, एर्नाकुलम, केरल में हुआ। उनके तीन संकलन प्रकाशित हुए हैं। उनकी कविताओं का अंग्रेजी, तमिल और तेलुगु में अनुवाद किया गया।

 

 

 

 

 

हाडा सेण्डू (मंगोल कवि)

 

अनुवाद रति सक्सेना

 

नीले अक्षर

औह, अ, ए, इ, ओ, उ ,औ, ऊ
तुम नील आसमान हो, मैं बादल हूं
हरी घास हो,मैं हवा हूं

औह, अ, ए, इ, ओ, उ ,औ, ऊ
तुम नील धूम हो, रास्ता हो
तुम मेरा देश हो

(मंगोलियन भाषा में सात वर्ण होते हैं, वे ह्रस्व और दीर्घ होते हैं, वर्ण की लमंबाई के अनुसार अर्थ में अंतर आता है। शब्द के आरमंभ में केवल दीर्घ वर्णों का उपयोग होता है।)

 

 

अपने वक्त में

मैं आंखें मींच लेता हूं
फिर भी मैं सो नहीं पाता
मैं आंखे खौल लेता हूं
मुझे शांति चाहिए, लेकिन मैं खो जाता हूँ

 

 

हवा

आते हैं नग्न
जाते हैं नग्न
जब हम जन्म लेते हैं
उस वक्त केवल हवा थी
जब हम मरेंगे तब भी हवा ही रहेगी

 

मेरे सपनों में
तुम मेरे घने बालों को सहलाती हो
देश की सीमा रेखा पर रखे पत्थर को
पार करती हो

 

अनुपस्थित, तुम धरती को पार करती हो
शांत आसमान का चुम्बन लेती हो
अपने अपमान को गुर्राती हुई

 

तुम्हारी हवा की खुशबू कहां गई?
यह प्रतिकार कहां से आया?

हम कुछ नहीं जानते
सुबकती हवा के बारे में
भटकती हवा के बारे में
गाती हवा के बारे में

 

हाडा सेंडू (जन्म 1961) समकालीन कवि है। वे मंगोलिया मूल के हैं.उनके कुछ कार्यों में मेलोडी ऑफ रॉक्स (मंगोलियाई 1996 में), स्टेपी (मंगोलियाई 2005 में), कम बैक टू अर्थ (अंग्रेजी 2011 में), एंडलेस रोड (मंगोलियाई 2011 में), स्वीट स्मेल ऑफ ग्रास (फारसी 2016 में), ऑरोरा शामिल हैं। (कुर्दिश 2017 में), मंगोलियाई लॉन्ग सॉन्ग (जॉर्जियाई 2017 में), जब मैं मरूंगा, मैं सपना देखूंगा (मंगोलियाई-जर्मन में) द्विभाषी 2017), मंगोलियाई ब्लू स्पॉट (डच में, 2017), ए कॉर्नर ऑफ द अर्थ (नॉर्वेजियन 2018 में), पीस, ब्रोकन हार्ट (रूसी 2018 में), सिच ज़ुहौसे फ़ुहलेन (जर्मन 2018 में),में प्रकाशित है। उनका तीसरा जर्मन कविता संग्रह 2019 में जर्मनी में प्रकाशित हुआ है। हाडा सेंडू ने उत्तरी अमेरिका, अफ्रीका, अरब देशों, एशिया और यूरोप में कविता के लिए पुरस्कार जीते हैं। उन्हें मंगोलियाई लेखक संघ द्वारा सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनकी काव्य कृतियों का 40 से अधिक भाषाओं में अनुवाद किया गया है। उनकी कुछ नई कविताएँ कृति पोएट्री जर्नल में छपी हैं। 2006 में, उन्होंने अभूतपूर्व विश्व काव्य पंचांग की स्थापना की, जिसे वे संपादित करना जारी रखते हैं। वह मंगोलिया की राजधानी उलानबटार में रहता है।

 

 

फेदरिको फेदेरिचि ( इतालवी कवि)

अनुवाद रति सक्सेना

 

 

अंधकार को एक बनाये रखने के लिए कुछ नोट्स

वक्त चार क्षण में

जो बीत गया
वह वक्त नहीं है
या फिर
बेहद निकट है वह
जितनी कि हथेली

..

हमारे पीछे सिमटते
दिन, इतने लम्बे नहीं कि
उठा सकें मौसमों को

..

कितनी देर , और
कब तक हम अनुकरण करें
रेत के पदचिह्नों का

..

वक्त वह है, जहां से वे आते हैं
जिस वक्त से वे जाते हैं

..

वक्त कभी बहुत देर
नहीं होता
जैसे कि कुछ पूर्व केक्षण
बीत गये
जिन्हें आना है, वे एक दूसरे को
अन्त तक पहुंचाते हैं

..

खोखले दरख्त सहारा लेते हैं
खोखले जंगलों का
पत्तियों का वार्तालाप जब से
दूर गया , तब से अश्रुत है

..

वक्त हमेशा निकल कर एक वक्त से
पहुंच जाते हैं दूसरे में
जैसे कि एक नदी, दूसरी नदी में
न वसन्त में न ही मुहाने में
बस जल के होंठों पर

..

कितनी आसानी से
यह सांस लेता है कटता है
न लम्बा होता है, अपने
सूत्र की पसन्द में

..

एक ढ़ीली गांठ पकड़ने को
यह रस्सी बहुत छोटी है
जब आखिरी चिड़ियां पुकारेगी
हम जगह को पा लेंगे

..

ये कहां सूखती हैं
या बारी बारी से टपकती है
जब वक्त का अन्त होता है
सारे दिन वापिस अपनी जगह
जगह पर आ जाते हैं
अपने आप ही

..

सवाल की गहराई
किसी का दिल नहीं होता

..

वहां कोई दूसरा नहीं है

..

जो बचता है, वह खत्म होता है
वहीआरम्भ होता है

जेनोआ से फिजिक्स में डिग्री प्राप्त कर Confocal and Multiphoton Microscopy विषय में रिसर्च करते हुए वे कवि, और कलाकार हैं। फेफरिकों की कविता और आर्ट उत्तर आधुनिक माना जा सकता है। फेदरिचों का लेखन संसार बहुत बड़ा है।

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